Monday, 6 January 2020

Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 7th January, 2020 at YouTube


     अध्यक्ष महोदय, पिछले 50 वर्षों में हमने योजनाबद्ध विकास का सहारा लिया है और मैं समझती हूँ कि  हमारा यह निर्णय सही सिद्ध हुआ है।  इस क्षेत्र में जो काम हुआ है उसके बिना हमारा देश उन बड़ी चुनौतियों पर विजय नहीं पा सकता था, जो पिछले कुछ वर्षों में विदेशी आक्रमणों और अत्यधिक कठिन तथा अकल्पित आर्थिक समस्याओं के रूप में हमारे सामने आईं।  यह वस्तुतः आश्चर्यजनक है कि विपक्ष के मेरे मित्र प्रोफेसर साहब आज भी योजनाओं को बंद कर देने का राग अलापते हैं, जबकि जिन उद्योगपतियों की ओर से उनकी पार्टी बोलती है वे सरकार पर और अधिक पूँजी लगाने के लिए जोर डालते हैं।  इस देश में उस समय तक योजनाएँ बंद नहीं हो सकतीं, जब तक इस देश में इस पार्टी की सरकार है, जब तक इस देश में सामाजिक न्याय माँगनेवाले करोड़ों भूखे-नंगे मौजूद हैं।
     एक अन्य समस्या, जो हमें दुखी करती है, अनुसूचित जातियों तथा आदिम जातियों और भूमिहीन मजदूरों के लिए और अधिक न कर पाने की हमारी अक्षमता है, लेकिन मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि इन कार्यक्रमों में जो कमियाँ हैं, उनके प्रति मैं पूरी तरह सजग हूँ और यह समझती हूँ कि इस संबंध में और बहुत कुछ किया जाना चाहिए।  हम इन कमियों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।  इसी प्रकार मुझे देश के सब अल्पसंख्यकों का ध्यान है।  इस संबंध में भी हम अपने दायित्व के प्रति पूरी तरह सजग हैं।  हम इस समस्या पर निरंतर विचार कर रहे हैं और अनेक संगठनों के लोगों से हमारा संपर्क है।  इन संगठनों में राजनीतिक और अराजनीतिक दोनों प्रकार के संगठन हैं।  हम इनके सहयोग से समस्या का समाधान ढूँढ रहे हैं तथा समय-समय पर सांप्रदायिक तनाव की जो क्रूर घटनाएं होती हैं उनको रोकने के उपाय भी खोज रहे हैं।  मैं वस्तुतः इस अवसर पर भाषा के बारे में नहीं बोलना चाहती थी, लेकिन अनेक माननीय सदस्यों ने इसका उल्लेख किया है।  बुनियादी प्रश्न यह था कि अहिंदी भाषी लोगों को हमारे बड़ों और प्रधानमंत्री ने जो आश्वासन दिए थे वे पूरे हों। इसी कारण से यह भाषा विधेयक संसद में पेश करना पड़ा।  यह सच है कि जब यह विधेयक सदन में पेश हुआ तो कुछ लोगों ने यह अनुभव किया कि इससे उनको कठिनाई होगी।  आखिर हमने किया क्या था?
      

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