Thursday, 27 June 2019

Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 28 June, 2019 at YouTube


अध्‍यक्ष महोदय, केंद्र-राज्‍य संबंधों को बेहतर बनाने के नाम पर कई सुझाव और योजनाएँ प्रस्‍तुत की गई हैं।  यह विचार करना माननीय सदस्‍यों और निस्‍संदेह मुख्‍यमंत्रियों का काम है कि क्‍या उनसे केंद्र-राज्‍य सहयोग सुदृढ़ होगा या वे विवाद की कोई गाँठ डालेंगे, या उनसे देश की एकता मजबूत होगी, या विभाजक प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलेगा।  जो भी समस्‍याएँ विद्यमान हैं या भविष्‍य में हो सकती हैं, उन्‍हें तर्क-वितर्क या टकराव द्वारा नहीं, बल्कि उनका संतोषजनक हल खोजने के लिए, उन्‍हें संयुक्‍त प्रयास से ही सुलझाया जा सकता है।  स्‍वाभाविक है कि कोई भी समाधान ऐसा नहीं है जो सभी पक्षों को पूर्ण संतोष दे सके।  लेकिन हमारी कोशिश यह देखने की होनी चाहिए कि व्‍यापक हितों को किस चीज से संभव बनाया जा सकता है।
   राज्‍यों के बारे में जब कभी ऐसा कोई प्रश्‍न उठता है, तो लोगों की भावनाएँ सरलता से भड़काई जा सकती हैं, विशेष रूप से, भाषा और धर्म के नाम पर या सीमा-विवाद को लेकर अथवा पृथक राष्‍ट्र के चमत्‍कृत करने वाले नारे के साथ।  इन सभी प्रश्‍नों का अधिकांशत: राजनैतिक पक्ष भी है, लेकिन उसका लाभ तभी उठाया जा सकता है जब वास्‍तव में किसी आर्थिक या अन्‍य शिकायत का कारण उपस्थित हो।  और यहाँ जो अनेक प्रश्‍न उठाए गए हैं, उनमें से अधिकांश मामलों में मुख्‍य बात है पिछड़े क्षेत्रों की आर्थिक अवस्‍था या विकास की।  इस दिशा में हम प्रयास करते रहे हैं और जहाँ-कहीं विकास के मामले में कोई उपेक्षा या देर हुई है, वहाँ स्थिति में सुधार के लिए जो कुछ भी संभव हो सकता है, करते रहे हैं। स्‍वाभाविक तौर पर तेलंगाना का संदर्भ आया है और उसके लिए भी हम कोशिश कर रहे हैं कि सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के क्रम में वहाँ के लोगों को आगे बढ़ाया जाए।
यह एहसास पाया जाता है कि इस प्रकार की भागीदारी को और मजबूत बनाया जाना चाहिए।  हम विभिन्‍न लोगों के साथ विचार-विनिमय करते रहे हैं।  मैं सहमत हूँ कि उस क्षेत्र में या अन्‍य क्षेत्रों में पाए जाने वाले विवादों को तेजी से हल किया जाना चाहिए।  कुछ सदस्‍यों ने समय-समय पर भड़क उठने वाले सांप्रदायिक दंगों के बारे में जो तीव्र भावना व्‍यक्‍त की, उसे हम समझे हैं और हम स्‍वयं इसे गहराई से अनुभव करते हैं। राष्‍ट्रीय एकता परिषद के कार्य पर भी विचार करना था।

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