उपसभापति जी, मुझे इस बात पर दृढ़ विश्वास है कि विश्व को विनाशकारी आयुधों से मुक्त कराने का मार्ग एक ऐसी विश्वव्यापी व्यवस्था के निर्माण में निहित है जो सुरक्षा के रूप में समानता एवं निष्पक्षता के सार्वभौम सिद्धांतों पर आधारित हो। वर्तमान शताब्दी में विश्व के राष्ट्र इसका जो समाधान अपनाएँगे वही आने वाली शताब्दी में विश्व की नियति को निर्धारित करेगा। नाभिकीय आयुधों के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने और नाभिकीय आयुधों के काम आने वाली विखंडनीय सामग्री के उत्पादन पर रोक लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहमति प्राप्त करने की दिशा में प्रगति हुई है। इस अंतर्राष्ट्रीय सहमति के लिए भारत और अमरीका ने मिलकर काम किया है। इन उपलब्धियों को ठोस रूप देने के लिए विनाभिकीकरण की दिशा में और अधिक सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए तथा आज अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में ऐसा संभव है। हमें बहुत कुछ और करना है। हमारा उद्देश्य है नाभिकीय आयुधों से मुक्त विश्व। इस बीच जहाँ एक ओर नाभिकीय निरस्त्रीकरण के लिए गंभीर बहुपक्षीय वार्ताएँ चलें, वहीं सावधानी के तौर पर, लघु अवधि के लिए नाभिकीय आयुध का ‘‘पहला प्रयोग नहीं’’ समझौता, बल्कि वास्तव में नाभिकीय आयुधों के प्रयोग पर रोक लगाना आवश्यक है। सार्वभौम विधि और संविधान की भावना के अनुरूप इन राज्यों का संघ चिरस्थायी है। सभी राष्ट्रों के मूलभूत कानून में भले ही यह व्यक्त न की गई हो, चिरस्थायित्व निहित है। यह बेहिचक कहा जा सकता है कि किसी भी सुगठित सरकार ने अपने कानून में स्वयं की समाप्ति का प्रावधान नहीं रखा। भौतिक रूप से हम अलग नहीं हो सकते। हम अपने विभिन्न अंगों को अलग नहीं कर सकते, न ही उनके बीच एक अलंघ्य दीवार खड़ी कर सकते हैं। पति और पत्नी का तलाक हो सकता है और वे एक दूसरे से दूर और इतना दूर जा सकते हैं कि वे एक दूसरे से मिल न सकें। किंतु हमारे देश के विभिन्न भाग ऐसा नहीं कर सकते। उन्हें तो आमने-सामने ही रहना होगा और उनमें आपसी आदान-प्रदान चलता ही रहेगा, चाहे वह सौहार्द्रपूर्ण भाव से हो या विरोधी भाव से।
Thursday, 20 June 2019
Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 21 June, 2019 at YouTube
उपसभापति जी, मुझे इस बात पर दृढ़ विश्वास है कि विश्व को विनाशकारी आयुधों से मुक्त कराने का मार्ग एक ऐसी विश्वव्यापी व्यवस्था के निर्माण में निहित है जो सुरक्षा के रूप में समानता एवं निष्पक्षता के सार्वभौम सिद्धांतों पर आधारित हो। वर्तमान शताब्दी में विश्व के राष्ट्र इसका जो समाधान अपनाएँगे वही आने वाली शताब्दी में विश्व की नियति को निर्धारित करेगा। नाभिकीय आयुधों के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने और नाभिकीय आयुधों के काम आने वाली विखंडनीय सामग्री के उत्पादन पर रोक लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहमति प्राप्त करने की दिशा में प्रगति हुई है। इस अंतर्राष्ट्रीय सहमति के लिए भारत और अमरीका ने मिलकर काम किया है। इन उपलब्धियों को ठोस रूप देने के लिए विनाभिकीकरण की दिशा में और अधिक सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए तथा आज अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में ऐसा संभव है। हमें बहुत कुछ और करना है। हमारा उद्देश्य है नाभिकीय आयुधों से मुक्त विश्व। इस बीच जहाँ एक ओर नाभिकीय निरस्त्रीकरण के लिए गंभीर बहुपक्षीय वार्ताएँ चलें, वहीं सावधानी के तौर पर, लघु अवधि के लिए नाभिकीय आयुध का ‘‘पहला प्रयोग नहीं’’ समझौता, बल्कि वास्तव में नाभिकीय आयुधों के प्रयोग पर रोक लगाना आवश्यक है। सार्वभौम विधि और संविधान की भावना के अनुरूप इन राज्यों का संघ चिरस्थायी है। सभी राष्ट्रों के मूलभूत कानून में भले ही यह व्यक्त न की गई हो, चिरस्थायित्व निहित है। यह बेहिचक कहा जा सकता है कि किसी भी सुगठित सरकार ने अपने कानून में स्वयं की समाप्ति का प्रावधान नहीं रखा। भौतिक रूप से हम अलग नहीं हो सकते। हम अपने विभिन्न अंगों को अलग नहीं कर सकते, न ही उनके बीच एक अलंघ्य दीवार खड़ी कर सकते हैं। पति और पत्नी का तलाक हो सकता है और वे एक दूसरे से दूर और इतना दूर जा सकते हैं कि वे एक दूसरे से मिल न सकें। किंतु हमारे देश के विभिन्न भाग ऐसा नहीं कर सकते। उन्हें तो आमने-सामने ही रहना होगा और उनमें आपसी आदान-प्रदान चलता ही रहेगा, चाहे वह सौहार्द्रपूर्ण भाव से हो या विरोधी भाव से।
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