Wednesday, 10 October 2018

Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 11 Oct, 2018 at Youtube


          सभापति महोदय, विकास की यह दीर्घकालीन चुनौती है कि हम अधिक से अधिक प्रयत्‍न करें और जिस प्रकार धनी और पिछड़े देशों को आपस में सहायोग करना आवश्यक है उसी तरह विकासशील देशों को भी एक दूसरे से व्‍यापार और दूसरे तरीकों से सहायता देकर सहयोग करना चाहिए।  हमारे लिए अपने साधन और कौशल को आपसी लाभ के लिए बाँटना संभव होना चाहिए।  इस प्रकार के द्विपक्षीय सहयोग का परिणाम यह होगा कि क्षेत्रीय आर्थिक सहयेाग के लिए बहुत से देशों में आपस में समझौते होंगे।
    सामाजिक लक्ष्‍य सिद्ध करने के लिए आं‍तरिक एकता और बाहरी खतरे से मुक्ति भी बेहद आवश्‍यक है।  संसार के सात बड़े देशों में से पाँच एशिया में हैं और उनमें इंडोनेशिया और भारत की भी गिनती होती है।  हम आशा करते हैं कि हमारा सारा क्षेत्र शांति और सहयोग का क्षेत्र होगा जिस पर किसी बाहरी शक्ति का न तो दबाव होगा और जहाँ न किसी प्रकार का तनाव और आपसी विरोध होगा।  तनाव तब हेाता है जब कोई देश दूसरे देश के मामलों में हस्‍तक्षेत्र करे।  यही कारण हे कि हम हमेशा इस तरह के हस्‍तक्षेप के विरूद्ध रहे हैं और हमारा सदा यह विश्‍वास रहा है कि सब देश शांति और सहअस्तित्‍व की भावना से रहें।    
    जिन सिद्धान्‍तों पर हमारी विदेश नीति आधारित है, उनमें से एक सिद्धान्‍त गुट-निरपेक्षता है।  हम सैनिक गठबंधन से बाहर रहे हैं, क्‍योंकि हम समझते हैं कि इस तरह के गठबंधनों से थोड़ी देर के लिए सुरक्षा का धोखा हो जाता है।  वास्‍तवि‍क शक्ति कभी नहीं प्राप्‍त होती।  आजकल शक्ति शून्‍यता या रिक्‍तता की बहुत चर्चा है और किसी क्षेत्र से विभिन्‍न राष्‍ट्रों की सेनाएँ हट जाने से जो रिक्‍तता हो सकती है उसके बारे में मुझसे प्रश्‍न पूछे गए हैं।  मैं यह भविष्‍यवाणी नहीं कर सकती कि क्‍या होगा लेकिन यह कहा जा सकता है कि जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा और हालैंड ने इंडो‍नेशिया छोड़ा तो उससे दोनों देशों में शक्ति शून्‍यता आ गई।  लेकिन हमारे राष्‍ट्रों ने इसे तत्‍काल भर दिया।  मुझे इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि इस क्षेत्र के देश इस रिक्‍तता को स्‍वयं भर सकते हैं।  एशिया में दो युद्ध हो चुके हैं।  वियतनाम में एक आशा की किरण फूटी है कोई भी समझौता हो, यह निश्‍चय है कि इससे नई चुनौतियाँ, नई समस्‍याएँ सामने आएँगी।  हम सब को इस तरह की समस्‍याओं को हल करने में सहायता करनी चाहिए।

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