Saturday, 13 October 2018

Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 13 Oct, 2018 at Youtube


     उपसभापति जी, हमारे विशेषज्ञों ने कहा है कि जिन देशों में पहले शिक्षा का विकास हुआ है वहाँ शेष विकास बड़ी सरलता से हुआ है और जिन देशों में शिक्षा का विकास नहीं हुआ, केवल पैसा मिलता रहा उनको, तो उसके कुछ और ही परिणाम हो सकते हैं। एक-एक देश का नाम लेकर बता सकता हूँ लेकिन देशों का नाम लेना ठीक नहीं है हमारे देश में पैसा बाद में आया।  जो बौद्धिक विकास है,  आर्थिक विकास है उसको पहली प्राथमिकता दी गई यह हमारे पुराने इतिहास से स्‍पष्‍ट है, और लोग भी इसको मानने लगे हैं कि जो प्राथमिकता भारत में ली गई है।  हमारे इतिहास के द्वारा वह सही है तो जब आप विकास की बात मानते हैं तो आपको अपनी प्राइमरी स्‍कूल की बात तो सोचनी ही चाहिए।  प्राइमरी स्‍कूल को कितने सरपंच देखते हैं।
    गाँवों को लोग देखते हैं उसके बारे में कोई भी आँकड़े रखते हैं मुझे याद है जब हम गाँवों में भाषण देने जाते थे तो प्राइमरी स्‍कूल से मेजें और कुर्सियाँ हमारी बैठक में उठा कर लाई जाती थीं और स्‍कूल के बच्‍चों की छुट्टी हो जाती थी।  तो यह कोई तरीका नहीं है और जब वहाँ आपको पौष्टिक आहार देना है तो मैं तो नहीं करूँगा यह, वह तो सरपंच साहब या जो महिला सदस्‍या हैं उनको अपने ऊपर लेना पड़ेगा और यह बड़ी खुशी की बात है कि हमने महिलाओं का भरपूर सहयोग इन संगठनों में रखा है।  वह चुन कर आई हैं, और कहीं–कहीं तो पुरुषों के बदले वे ही चुन कर आई हैं।
    कर्नाटक में या किसी दूसरे राज्‍य में कहा गया था कि 33 प्रतिशत की बजाय 46 प्रतिशत महिलाएँ चुन कर आई हैं।  मैं उनका स्‍वागत करता हूँ।  इसके साथ-साथ यह जो आपके सामने चुनौती है इस कार्यक्रम की जिसको शायद आपने पहले कभी नहीं लिया है इस चुनौती का सामना करने के लिए आपको संगठित शक्ति चाहिए।  अपसी झगड़ों  से परे हट कर आपको देखना है कि जो गाँव में गरीबी है उसे कैसे दूर करना है। कई समाजशास्त्रियों ने यह कहा है कि आज एक बहुत बड़ा अवसर मिल गया है कि पंचायतों को गरीबी को हटाने का उपाय आप सोच सकते हैं बाहर कोई नहीं सोच सकता।  तो यह तीसरा काम करना है।  एक तो वोटिंग का, दूसरा विकास वाला और तीसरा जो बुनियादी काम है गरीबी हटाने का, शीघ्र करना है ।
     उपसभापति जी, यह आपकी परीक्षा भी होगी और आपकी सफलता भी होगी।  पैसा वहाँ पहुँचाने की सीमा तक हमारी सफलता है, हमारा काम है। लेकिन जब सही आदमी को सही सहायता मिलती है, तो वह सफलता आपकी रहेगी और आप ही के माध्‍यम से काम होगा।  मुझे यह कहते हुए बड़ी खुशी हो रही है, मैं आशान्वित हूँ, जो आज तक नहीं हुआ, अब होने को है।  हम बहुत सोच रहे हैं कि ये पैसा कहाँ भेजें।  हम शासन में हैं और राजनीति में हैं और पार्टी राजनीति है।  तो यह रुझान भी हमको देखने को मिला है कि यहाँ भेजा हुआ पैसा, किसी और में अपने नाम से वहाँ खर्च किया।  अपनी पार्टी के नाम से या अपनी पार्टी के बनाए हुए किसी लेबिल के नीचे उस पैसे को खर्च किया।   मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इसकी कोई आवश्‍यकता नहीं है
    मुझे नहीं मालूम, यहाँ जो सरपंच बैठे हुए हैं उनमें से किस पार्टी का कौन है, कितने हैं, मुझे इसकी परवाह भी नहीं है।  यह मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हमारा राज तीन स्‍तरों पर चल रहा है एक केंद्रीय स्‍तर, एक राज्य स्‍तर और तीसरा जिसको आप स्‍थानीय कहते हैं जिसके आप प्रतिनिधि हैं।  इन तीनों स्‍तरों पर राजनीति चल रही है।  इसमें पार्टी की कोई आवश्‍यकता नहीं है, पार्टीबाजी की कोई आवश्‍यकता नहीं है और पार्टी के नाम पर कोई झगड़ा करने की आवश्यकता नहीं है।  
    जब केंद्रीय सरकार से पैसा आता है तो यह मानकर चलना चाहिए कि केंद्रीय सरकार से पैसा आता है, केंद्रीय सरकार उन्‍हीं की बनाई हुई, जिन्‍होंने राज्‍य सरकार बनाई है।  केंद्रीय सरकार में हमेशा एक ही पार्टी रहेगी, इसका क्‍या है कोई भी पार्टी आ सकती है केंद्र में लेकिन केंद्र सरकार, केंद्रीय सरकार ही रहेगी।  तो इसको छिपाना और इस पर पर्दा डालना और इसको कुछ उलटा–पुलटा समझाने का कोई लाभ नहीं है।  लोग अपने आप समझ जाएँगे कि पैसा केंद्रीय सरकार का है केंद्रीय सरकार का मतलब है, यह भी लोगों का ही है।  लेकिन हमारे संविधान में तीन स्‍तर बने हुए हैं केंद्र, राज्‍य और स्‍थानीय।  इन तीनों में विभाजन जैसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए और समझ लेना चाहिए।  राज्‍य सराकर हमारे कार्यक्रमों को बदल डाले, कोई दूसरा नाम दे और ये पैसा दूसरे नाम से खर्च करने लगे ठीक नहीं है।  

No comments:

Post a Comment