Sunday, 2 February 2020

Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 3rd February, 2020 at YouTube


    उपाध्‍यक्ष महोदय, इन वि‍शेषज्ञों और ऐसे अन्‍य लोगों की भविष्‍यवाणियाँ एकदम गलत सिद्ध हुई हैं क्‍योंकि वे प्रत्‍येक समाज की व्‍याख्‍या यूरोपीय दृष्टिकोण से करने की कोशिश करते रहे हैं और भारत को अपने पूर्वानुमानित सिद्धांतों और चौखटों में फिट करने की कोशिश करते रहे हैं।  वे हमारी जनता की असाधारण समुत्‍थान शक्‍ति और आस्‍था तथा साहस के उनके अक्षय भंडार को देख पाने में असफल रहे हैं।  भारत में हमने जान-बूझकर अतिवादी स्थितियों को अपनाने से बचाव किया है।  हमें प्रत्‍येक परिस्थिति की विविधतओं की ओर ध्‍यान देना होता है।  हम अपने पूर्वजों द्वारा घोषित एक महनतम सत्‍य को सदा दृष्टिकोण में रखने का प्रयास करते हैं।  सत्‍य एक है परंतु विवेकीजन प्राय: उसके विविध रूपों का वर्णन करते हैं।  यह विश्‍वास कि सत्‍य तक पहुँचने के अनेक रास्‍ते हैं, हमारी सह-अस्तित्‍व की नीति का आधार है।  प्रत्‍येक राष्‍ट्र को अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी सामाजिक पद्धति का अनुसरण करे और दूसरों द्वारा अपने ढंग से अनुसरण करने के अधिकार को स्‍वीकार करे।  एशिया और अफ्रीका तथा विश्‍व के बहुसंख्‍यक देशों ने हमारी जैसी विदेशी नीति अपनाई है और वे शांतिपूर्ण सह-अस्‍तित्‍व और गुट-निरपेक्ष के मार्ग पर चल रहे हैं।  अब यह बात और स्‍पष्‍ट रूप से मानी जा रही है कि विश्‍व-व्‍यवस्‍था सहयोग पर निर्भर करती है, इस बात पर निर्भर करती है कि हम छोटे-से-छोटे देश के प्रति भी समानता का व्‍यवहार करें और यह समझें कि विश्‍व बड़े-से-बड़े राष्‍ट्र से भी बड़ा है।
    किसी देश का आकार महत्‍वपूर्ण नहीं होता।  एक समय था, जब एक छोटे-से देश ने हमें आक्रांत किया था।  ऐसे भी उदाहरण मिल जाएँगे कि एक छोटे-से देश ने बहुत बड़े और शक्‍तिशाली देश का सफलतापूर्वक सामना किया और उसके इरादों को पूरा नहीं होने दिया।  इसका सर्वोत्‍तम उदाहरण वियतनामी जनता का संघर्ष है, जिसने शक्‍ति की सीमा को उजागर कर दिया है।  वियतनाम की जनता की पीड़ा से हमें गहरी हमदर्दी है और उनकी उद्वि‍तीय वीरता की हम सराहना करते हैं।  अपने आसपास हमने देखा है कि किस प्रकार त्‍याग और कष्‍ट सहिष्‍णुता की विजय बर्बरता और अत्‍याचार पर हुई, जिससे बांगलादेश का उदय हुआ।  प्रत्‍येक देश में ऐसे अनेक उज्‍जवल उदाहरण होंगे जो यह सिद्ध कर दिखाते हों कि मानव की आत्‍मा अजर-अमर है और यह ध्‍यान रखना है।

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