Wednesday, 5 September 2018

Shorthand Hindi Dictation Speech published on 3 Sept, 2018 at youtube


     श्रीमान जी, हमारी प्रगति पर अनेक ऐसी घटनाओं का प्रभाव पड़ता है जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता।  इनमें से कुछ देश में घटित हाती हैं, जैसे युद्ध या प्राकृतिक विपदाएँ, कुछ देश के बाहर घटित होती हैं। और आप जानते ही हैं कि आज विश्‍व के प्रत्‍येक देश में वैसी ही कठिनाइयाँ पाई जाती हैं जो हमारे यहाँ हैं।  इसके अलावा, स्‍वयं विकास के क्रम में कठिनाइयाँ पैदा होती हैं, तनाव पैदा होते हैं जिनके पीछे उन निहित स्‍वार्थ वालों का दबाव होता है जिन पर विकास का प्रभाव पड़ता है।  यद्यपि ऐसी घटनाओं से सभी देश प्रभावित होते हैं, परंतु तो देश ज्‍यादा गरीब हैं उन्‍हें ज्‍यादा कष्‍ट झेलने पड़ते हैं और यह भी दुर्भाग्‍यपूर्ण सच्‍चाई है, जैसाकि हम अपने देश में पाते हैं कि अपेक्षाकृत अधिक निर्धन लोगों को कष्‍टदायक परिस्थितियों का अधिक भाग झेलना पड़ता है।
       लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाते हैं, हमारे लिए यह आशा करना दुराशा मात्र होगी कि कठिनाइयों का लोप हो जाएगा।  हम यही आशा कर सकते हैं कि उनका स्‍वरूप बदल जाएगा।  मेरा निजी विचार यह है कि समय के साथ-साथ कठिनाइयाँ और बड़ी तथा जटिल होती जाएँगी।  लेकिन साथ ही मुझे पुरा विश्‍वास है कि हम इनको हल करने में सक्षम होंगे।  हमें इस समय करना यह है कि अपने आपको ऐसे आघात सह सकने के लिए सबल बनाएँ चाहे ये आघात हमारी अपनी व्‍यवस्‍था के कारण हों या विश्‍व के अन्‍य लोगों की घटनाओं के कारण।

       योजना के प्रारूप में यही प्रयास किया गया है।  आयोग के उपाध्‍यक्ष तथा अन्‍य सदस्‍यों और अन्‍य लोगों ने इसे तैयार करने के लिए बहुत परिश्रम किया है।  सभी राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों तथा अधिकारियों और केन्‍द्रीय मंत्रालयों से ब्‍यौरे के साथ विचार-विमर्श किया गया है।  मैं जानती हूँ कि योजना से सभी माँगे पूरी नहीं होंगी।  ऐसा न पहले हुआ है न शायद आगे कभी हो सकेगा।  फिर भी, उत्‍पादन के जो लक्ष्‍य रखे गए हैं उन्‍हें उपलब्‍ध करने के लिए बहुत अनुशासन की आवश्‍यकता है।  ऐसे महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में वृद्धि की गई है जिनसे लोगों की आवश्‍यकता की चीजें और ज्‍यादा मात्रा में उपलब्‍ध हो सकेंगी।  कोयला, उर्वरक, इस्‍पात, धातुओं, पेट्रोलियम आदि के लिए पर्याप्‍त वृद्धि का सुझाव दिया गया है।  इन लक्ष्‍यों को पूरा करने के लिए केन्‍द्र सरकार और उसके सार्वजनिक उपक्रमों को बहुत परिश्रम करना होगा।

       इसी प्रकार राज्‍य सरकारों को न्‍यूनतम आवश्‍कयताओं को पूरी करने के कार्यक्रमों तथा कृषि, सिंचाई, बिजली, ग्रामीण शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में बड़ा प्रयास करना होगा।  मैं समझती हूँ कि आप देखेंगे कि राज्‍य सरकारों को और स्‍वयं हमको, विशेषत: ग्राम-स्‍तर पर अपने संगठनात्‍मक ढाँचे और काम-काज के तरीकों को नया रूप देना होगा। विकास के क्षेत्र में हमारी सबसे गंभीर विफलता यह रही है कि हम ग्राम-समुदाय को विकास कार्यों के लिए नहीं जुटा पाए हैं।  प्रश्‍न केवल पैसों का नहीं है।  जो भी साधन उपलब्‍ध हैं, निश्‍चय ही उनका आबंटन करते हुए ध्‍यान रखना होगा।


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