माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं दिल्ली विकास संशोधन विधेयक, 1966 का
समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ। मंत्री
जी ने दिल्ली विकास अधिनियम 1957 में संशोधन के लिए यह बिल यहाँ प्रस्तुत किया है। पहले दिल्ली महानगर परिषद के सदस्यों का चयन
डी.डी.ए.
में हुआ करता था। अब दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बन जाने से यहाँ राज्य
के रूप में विधान सभा गठित हो गई है।
इसलिए विधायकों का उसमें चयन करने के लिए यह संशोधन विधेयक हमारे सामने
है। मैं अपनी ओर से तथा अपनी पार्टी की ओर
से इसका समर्थन करता हूँ।
उपाध्यक्ष
महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का
ध्यान खींचना चाहता हूँ। अभी आदरणीय
जगमोहन जी ने उसका उल्लेख भी किया था।
दिल्ली की जनसंख्या एक करोड़ से ऊपर हो गई है, यानी एक करोड़ से भी अधिक
होने को है। यहाँ पर गरीब लोग और
कम आय वाले लोग भी रहते हैं, जो अधिकतर कॉलोनियों में रहते हैं। अनधिकृत कॉलोनियों की संख्या 1210 है। इन बस्तियों में ये लोग फटेहाल और परेशानी में अपना जीवन व्यतीत
करते हैं। इसलिए कि इन बस्तियों को नियमित
नहीं किया गया है। जिस कारण उन्हें
सरकारी सुविधाएँ जैसे बिजली, पानी और राशन कार्ड न होने की वजह से राशन नहीं मिल पाता।
पिछले दिनों
जंतर-मंतर के पास इन बस्तियों के हजारों लोगों ने 49 दिन तक धरना भी दिया था। एक रोज ऐसा भी आया कि कम से कम पाँच हजार
परिवार अपने बाल-बच्चों के साथ ठंड में वहाँ पड़े रहे। यह मंत्री जी को अच्छी तरह ज्ञात भी है। माननीय पर्यावरण राज्य मंत्री उनके
प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री जी के पास ले गए और उनको आश्वासन मिला कि हम उस पर
कार्यवाही करेंगे। यह भी आश्वासन मिला कि
अनधिकृत बस्तियों को अधिकृत किए जाने की कार्यवाही होगी। लेकिन उस बात को बीते एक महीना हो गया है। हम सरकार से जानना चाहते हैं कि गरीब मध्यम
वर्ग के लोग इन 1210 बस्तियों में परेशान हैं, जिन्हें बिजली, पानी और राशन नहीं
मिल रहा है। उनकी जो परिस्थिति है, उसको
देखते हुए क्या सरकार इसी महीने में संसद के इसी सत्र में ऐसी व्यवस्था करेगी कि
उन बस्तियों को अधिकृत रुप में नियमित कर दिया जाए। उन्हें बिजली तथा पानी का कनैक्शन मिले, राशन
कार्ड मिले, यह मैं कहना चाहता हूँ।
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