स्पीकर महोदय, मैं सोचता हूँ कि अगर आप
डेढ़ वर्ष पीछे जा सकते और फिर यह देख सकते कि इन डेढ वर्षों में क्या हुआ है, तो
आपको लगेगा कि भारत बहुत अर्थों में अपनी सब तरह की मुश्किलों और तकलीफों के
बावजूद, जिनमें से वह गुजरा है, काफी आगे बढ़ा है। हमारी सरकार और विशेष कर मुझे बहुत बोझ उठाना पड़
रहा है; हमारे सामने आज भी बड़ी-बड़ी कठिनाइयाँ हैं। फिर भी, मैं पूरी ईमानदारी से कहता हूँ कि मेरे
अंदर न असफलता का भाव है और मैं दूर-भविष्य तो नहीं निकट-भविष्य की ओर पूरे
विश्वास के साथ देखता हूँ और अपने अंदर छुपा हुआ एक ऐसा अनुभव पाता हूँ कि मुझे इस
भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण चरण में हिस्सा लेने का अवसर मिला। क्योंकि आपने मेरे प्रस्तावों का जिक्र किया है,
इसलिए मैं एक चीज कहना चाहूँगा कि बजट में बहुत-सी चीजें हुआ करती हैं, जिनसे कुछ सदस्यों
को शायद खुशी न होती हो। शायद हम इस बात
में या उस बात में कुछ और बेहतर काम कर सकते थे लेकिन मैं समझता हूँ कि स्वयं बजट
हमारी और हमारे राष्ट्र की ताकत की निशानी है।
मेरे ख्याल से जिस ध्यान और
दूरदर्शिता के साथ हमारे वित्त मंत्री ने यह बजट तैयार किया है, उससे आने वाले
महीनों और वर्षों में हमें बहुत लाभ होगा।
अगर
मैं साफ कहूँ कि हमने बहुत फूँक-फूँक कर कदम रखे हैं क्योंकि हममें आपने जो बहुत
बड़ा भरोसा रखा है, उसके बारे में हम जोखिम नहीं उठाना चाहते। बहुत सी चीजें हैं जो हमने चाहते हुए भी नहीं
की, क्योंकि हम भारत के भविष्य और भारत के वर्तमान को दाँव पर नहीं लगा सकते थे। ऐसी चीजों में भी जो हमारे ही सिद्धांतों और
विचारों के अनुसार है अगर, कोई जोखिम या खतरा दिखाई दिया तो, हम उसमें भी आगे
नहीं बढ़े तथा हम सतर्कता के साथ आगे बढ़े हैं। हो सकता है कि अगर हमने ज्यादा साहस नहीं दिखाया
होता, तो कुछ
काम जल्दी हो जाता, लेकिन में व्यक्तिगत तौर से इस नाजुक वक्त में बहुत होशियारी से चलने
की नीति पर चलने से पूरी तरह सहमत हूँ।
जहाँ-जहाँ छोटी-मोटी बात के अलावा, मैं अपने साथी वित्तमंत्री की प्रशंसा
करना चाहता हूँ कि किस साहस, दृष्टि और ऊँची बुद्धिमत्ता के साथ उन्होंने
समस्या को सुलझाया है। यह सराहनीय प्रयास
है।