Sunday, 7 July 2019

Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 8 July, 2019 at YouTube


सभापति महोदय, एक विकलांग बच्‍चा क्षमताओं, योग्‍यताओं तथा अन्‍य बातों में सामान्‍य बच्‍चों से कुछ भिन्‍न होता है।  उसे अन्‍य लोगों से सहयोग की आवश्‍यकता होती है।  इस सहयोग की अपेक्षा सर्वप्रथम वह अपने माता-पिता, आस-पास के वातावरण व समाज से करता है।  इसलिए माता-पिता की जिम्‍मेदारी इस बच्‍चे के प्रति कुछ ज्‍यादा हाती है।  वह बच्‍चे के प्रति अपनी हीन भावना व अपराध बोध को त्‍याग कर, उससे एक सामान्‍य बालक की भाँति अपेक्षाएँ न रखकर संयम के साथ सहज व्‍यवहार करें, क्‍योंकि यही सहज व्‍यवहार बालक के विकास व आत्‍मसम्‍मान की वृद्धि में सहायक सिद्ध होता है।  
यदि परिवार में विकलांग बच्‍चा जन्‍म लेता है या किसी बीमारी या दुर्घटना के कारण से विकलांग हो जाता है, तो परिवार में एक मानसिक तनाव की स्थिति उत्‍पन्‍न हो जाती है।  अभिभावकों का उसके पालन-पेाषण व भविष्‍य को लेकर चिंतित होना स्‍वाभाविक है। परंतु इस चिंता और मानसिक तनाव को किसी भी परिस्थिति में उस विकलांग बच्‍चे के समक्ष प्रकट न करें, यथाशीघ्र चिकित्‍सक, परामर्शदाता, या कोई ऐसी संस्‍था जो उस विकलांगता से संबंधित क्षेत्र में कार्यरत हो, से मिलकर उसके सहयोग से बच्‍चे के विकास व भविष्‍य निर्माण में अपना योगदान दें, साथ ही साथ परिवार के अन्‍य सदस्‍यों को भी बच्‍चे के प्रति सहज व्‍यवहार के लिए प्रेरित करें।  इससे विकलांग बच्‍चे में हीन भावना नहीं आएगी और थोड़ी-बहुत आ भी जाती है तो बालक को प्‍यार व सहयोग से दैनिक कार्य सीखने के लिए प्रोत्‍साहित कर उसे धीरे-धीरे स्‍वावलंबी बनाएँ।  इससे उसके मन में उत्‍पन्‍न हीन भावना स्‍वत: समाप्‍त हो जाएगी।  उसमें अच्‍छी आदतों के विकास के लिए जैसे अपने सामान को यथास्‍थान रखना, खेल के स्‍थान को साफ-सुथरा रखना, नहाना, दाँत साफ करना आदि कार्य जो सामान्‍य बच्‍चे करते हैं, सिखाएँ और उसे ऐसा करने के लिए प्रेरित करें, जिससे वह कार्य करने में रुचि ले। 
विकलांग बालकों को सिखाते समय उपयुक्‍त सामग्री अवश्‍य उपलब्‍ध हो, इससे बालक इन कामों को शीघ्र सीखता है।  जैसे अगर हम उसे किसी जानवर के विषय में बता रहे हैं तो हमें उस जानवर को या उसका चित्र बच्‍चे को दिखाना चाहिए।  माता-पिता अपना खाली समय उसके साथ खेलने, बातचीत करने व नए-नए कार्य सिखाने में व्‍यतीत करें।

Thursday, 4 July 2019

Shorthand Dictation (Hindi) Matter Published on 5 July, 2019 at YouTube


    महोदय, मुझे खेल-प्रेमी नगर कोलकाता में नेताजी सुभाष राष्‍ट्रीय खेल संस्‍थान के पूर्वी केंद्र के उद्घाटन समारोह के अवसर पर आप लोगों के बीच आकर बड़ी प्रसन्‍नता हुई है।  यह केंद्र देश में और विशेष रूप से देश के पूर्वी भाग में खेलकूद को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।  कितनी अच्‍छी बात है कि हमारे सम्‍मानित प्‍यारे नेता स्‍वर्गीय नेताजी सुभाष के नाम पर इस संस्‍थान की स्‍थापना की गई है, और उनके जन्‍म दिन 23 जनवरी को ही इस केंद्र का उद्घाटन किया जा रहा है।  नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपना सारा जीवन देश की स्‍वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया था।  त्‍याग और बलिदान की उनकी भावना से हम सबको और विशेष रूप से नौजवान पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है।  नेताजी ने एक ऐसे मजबूत, संगठित और स्‍वतंत्र भारत का स्‍वप्‍न देखा था, जिसके लोग शारीरिक और दिमागी तौर पर तंदुरुस्‍त हों।  मुझे शक नहीं कि नेताजी सुभाष खेल संस्‍थान इस स्‍वप्‍न को पूरा करने का कार्य करेगा। 
    नेताजी सुभाष राष्‍ट्रीय खेल संस्‍थान की स्‍थापना 1961 में पटियाला में हुई थी, जिसका पिछले 32 वर्षों में काफी विकास हुआ है।  संस्‍थान ने अब तक पंद्रह हजार से अधिक कोच तैयार किए हैं और देश के राष्‍ट्रीय खेल संघों के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने में भी सहायता की है।  खेलों के मामले में देश के दक्षिणी प्रदेशों की विशेष आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए कुछ वर्ष पूर्व इसी दिन बंगलौर में इसके दक्षिणी केंद्र का उद्घाटन किया गया था।  मुझे पूरी आशा है कि कोलकाता में पूर्वी केंद्र की स्‍थापना से खेलों के क्षेत्र में संस्‍थान राष्‍ट्र के लिए उपयोगी सेवा कर सकेगा।  कुछ वर्ष पूर्व में, हमने नई दिल्‍ली में नौवें एशियाई खेलों का आयोजन किया था।  ये खेल काफी कामयाब रहे।  सारा राष्‍ट्र उन लोगों की सराहना करता है, जिन्‍होंने इन खेलों के आयोजन के लिए काम किया था।  नेताजी सुभाष राष्‍ट्रीय संस्‍थान ने भी अंतर्राष्‍ट्रीय महत्‍व के इस काम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    इन खेलों में हमारी टीमों और खेल प्रतियोगियों ने पहले से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया।  हमारे खिलाड़ियों ने इन खेलों में 57 मैडल जीते जब कि 1978 में बैंकाक में हुए पिछले एशियाई खेलों में उन्‍हें 28 मैडल ही मिले थे।  इस के लिए खेल-विभाग, नेताजी सुभाष राष्‍ट्रीय खेल संस्‍थान, राष्‍ट्रीय खेल संघ तथा भारतीय ओलम्पिक संघ बधाई के पात्र हैं।