अमेरिका में विगत चार दिनों के तेज
घटनाक्रम में न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताकत बढ़ी है, बल्कि भारत को भी कूटनीतिक रूप से
पर्याप्त बढ़त मिली है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत को हुआ लाभ इसलिए भी
बहुत स्पष्ट होकर उभरा है, क्योंकि एक तरह से पाकिस्तानी
प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया है कि कश्मीर के मसले पर उनकी कोशिशें नाकाम हुई
हैं। विरोध व शंकाओं की कुछ चर्चाओं को छोड़ दीजिए, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भरोसा जताते हुए यहां तक
कह दिया है कि नरेंद्र मोदी कश्मीर और आतंकवाद को संभाल सकते हैं। भारतीय
प्रधानमंत्री पर भरोसा जताकर भारत को अमेरिका ने जो अवसर दिया है, उसका भारत सरकार को भरपूर उपयोग करना
चाहिए, ताकि कश्मीर में सामान्य जीवन बहाल हो
जाए। यह अवसर भारत की कूटनीति को थोड़ी सशक्त देख अभिभूत होने का नहीं है। आतंकवाद
पर अमेरिका में इमरान को कोई पाठ पढ़ाया गया हो, ऐसा दिखा नहीं, क्योंकि न सिर्फ ईरान, बल्कि अफगानिस्तान में भी अमेरिका को
पाकिस्तान की जरूरत है। अमेरिका ने अभी केवल इतना संदेश दिया है कि वह भारत पर
अतिरिक्त दबाव नहीं बनाएगा।
कुल मिलाकर, अमेरिकी घटनाक्रम से थोड़ी उम्मीद बढ़ी
है, क्योंकि इससे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
को भी सबक मिले हैं और भारतीय प्रधानमंत्री को भी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को यह
सबक मिला है कि बाजार और अर्थव्यवस्था की मजबूती के कारण कोई भी भारत के खिलाफ
जाना नहीं चाहता। भारत के लिए यह खुशी की बात है, विगत दशकों से यह बात होती आई थी कि भारत अपनी ताकत और महत्व को
बढ़ाए, तो दुनिया उसकी बात सुनेगी। आज हम जिस
मुकाम पर पहुंच गए हैं, वहां से हमें पीछे
नहीं देखना है। भारत को जहां उसके लोकतंत्र, सद्भावी समाज, उदारता, शांति, संयम का लाभ मिलने
लगा है, वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान को इन विशेषताओं के अभाव का
खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
ऐसे में, भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने
बिल्कुल सामयिक टिप्पणी की है कि भारत को पाकिस्तान से बात करने में कोई परहेज
नहीं, लेकिन भारत ‘टेररिस्तान’ से बात नहीं करेगा। पाकिस्तान अगर
चाहता है कि भविष्य में वैश्विक मंच पर उसकी बात का वजन बढ़े, उसके प्रधानमंत्री का महत्व बढ़े, तो उसे ‘टेररिस्तान’ होने के बदनुमा दाग से जल्दी छुटकारा
पाना होगा। अभी पाकिस्तान का लिहाज ट्रंप और कुछ देश शायद इसलिए भी कर रहे होंगे, क्योंकि वह परमाणु शक्ति है, उसे एक सीमा तक ही निराश किया जा सकता
है। बहरहाल,
जब इमरान खान भारत को आर्थिक शक्ति के
रूप में देख पा रहे हैं, तो उन्हें भी
पाकिस्तान की आर्थिक तरक्की पर फोकस करना चाहिए और इसके लिए सबसे जरूरी है
अमन-चैन। भारत पहले ही बोलता रहा है कि दूसरों का अमन-चैन तबाह करके कोई स्वयं कब
तक अमन-चैन से रह सकता है? आज पाकिस्तान जहां
है, वहां उसे भारत ने नहीं खड़ा किया, वह वहां स्वयं जा फंसा है। पाकिस्तान
को अगर वाकई अपनी इज्जत और कश्मीरियों की फिक्र है, तो उसे कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई
शुरू करके सबसे पहले अपने देश में अमन और तरक्की का नया युग शुरू करना चाहिए।